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Sunday, 22 February 2015

बजट २०१५ में इन बातों पर भी ध्यान दें

नीति आयोग में बजट पूर्व विचार विमर्श 
By Narendra Modi (PM’s interaction with economists at NITI Aayog) [CC BY-SA 2.0 (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/2.0)], via Wikimedia Commons

भारत के वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली से निवेदन है की बजट २०१५ में निम्नलिखित बातों पर भी ध्यान दें. इन दिनों बजट के सम्वन्ध में टीवी एवं समाचार पत्रों में खूब चर्चा हो रही है एवं एक अच्छे बजट की दिशा में यह एक सकारात्मक एवं सराहनीय कदम है.

हम जनता हैं और जनता के बीच में रहते हैं. साथ ही अनेक बुद्धिजीवियों, अर्थशास्त्रियों, व्यापारियों से भी बजट को लेकर बातचीत होती रहती है. इन सभी के आधार पर एवं मेरे स्वयं के चिंतन से मैं यहाँ कुछ सुझाव देना चाहता हूँ.

वित्त मंत्री ने संकेत दिया है की विकास दर की बढ़ाना एवं विदेशी निवेश को आकर्षित करना उनका पमुख लक्ष्य रहेगा। साथ ही कौशल उन्नयन एवं मेक इन इंडिया की बढ़ावा देना भी उनकी प्राथमिकता में शुमार रहेगा। ये सभी बहुत ही अच्छी बात है एवं भारत देश के विकास के लिए आवश्यक भी.

परन्तु कुछ बेहद आधारभूत चीजों की और ध्यान दिए बिना तह लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सकता। वित्तीय घाटे की ४.१ प्रतिशत से नीचे लाते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिय्र की आधारभूत संरचनाओं में निवेश कम न हो. आधारभूत संरचना में निवेश ही देश की प्रगति का आधार है.

इस निवेश में सबसे बड़ी वाधा है सरकारी खर्च। जिसका अधिकांश भाग सरकारी कर्मचारितों के वेतन भत्ते, क़र्ज़ पर व्याज, एवं सब्सिडी में चला जाता है. केश पर ब्याज देना आवश्यक है परन्तु यह ध्यान रल्हा जाये की नेता क़र्ज़ न लिया जाये एवं पुराण चुकाया जाये जिससे ब्याज पर लहरच धीरे धीरे कम हो. यदि नया क़र्ज़ लिया जाये तो यह सुनिश्चित किया जाये की उसे उत्पादकता बढ़ने में ही खर्च किया जाए.

सरकारी कर्मचारियों का वेतन देश के अधिकांश लोगों के वेतन से बहुत ज्यादा है इसके बाबजूद हर वर्ष इसमें बढ़ोतरी की जाती है साथ ही थोड़े थोड़े अंतराल में वेतन आयोगों के माध्यम से उसमे बेतहाशा वृद्धि की जाती है, इस पर अंकुश लगना चाहिए एवं इसे राष्ट्रीय वतं औसत के साथ Rationalization किया जाना चाहिये। उअ इकलौता उपाय निवेश के लिए पर्याप्त राशि जुटा सकता है.  सरकारी कर्मचारियों की कार्यकुशलता बढ़ाना एवं इन्हे जनता के प्रति जबाबदेह बनाना भी सरकार का लक्ष्य होना चाहिए जिशे देश की उत्पादन क्षमता बढ़ सके.

आज देश की जनता निवेश की अपेक्षा सट्टेबाज़ी से धन कमाने की ओर उन्मुख हो रही है जिसका मुख्य कारन NCX, MCX आदि हैं. यदि इसे पूरी तरह बंद न किया जा सके तो भी काम से काम खाद्य पदार्थों में फ्यूचर ट्रेडिंग को बंद किया जाये।

शिक्षा के विस्तार के बगैर एक आधुनिक देश की कल्पना नहीं की जा सकती। शिक्षा को वयवहारिक, योजगारपरक बनाया जाये एवं उसमे सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा दिया जाये। इस के लिए केंद्रीय बजट में कर छूट या अन्य कोई incentive दिया जा सकता है.

श्रम कानूनो में सुधर भी बहुत जरुरी है.  मैं यहाँ पर इन मूलभूत बातों का जिक्र कर रहा हूँ जिन पर चर्चा कम होती है. मैंने इसी ब्लॉग में पहले भी इन विषयों पर विस्तार से लिखा है जिनके लिंक्स दे रहा हूँ.

Jyoti Kothari
Convener, Jaipur division
Prabhari, West Bengal,
Narendra Modi Vichar Manch


Thanks,
(Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry)
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