Search This Blog

Friday, 2 October 2015

क्या लाल बहादुर शास्त्री के मृत्यु का रहस्य अब खुलेगा?

प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री


माग्यार पोस्ता में जारी  लाल बहादुर शास्त्री पर डाक टिकट 


लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  

क्या भारत के दूसरे प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री के मृत्यु का रहस्य अब खुलेगा? जी के मृत्यु का रहस्य अब खुलेगा? आज उनके जन्म दिवस पर भारत की जनता के जेहन में यह सवाल बार बार उभर कर आ रहा है. छोटे कद के इस विनम्र व्यक्ति ने बड़े कद के अहंकारी अयूब खान को १९६५ के भारत-पाक युद्ध में जिस प्रकार धूल चटाई थी, उसे पाकिस्तान आज भी नहीं भुला पाया है. इस युद्ध में भारत की सेना पाकिस्तान के लाहोर तक पहुँच कर उसे उसकी औकात बता दी थी.

युद्ध के बाद भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री व पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच रूस के तासकंद में समझौता हुआ, समझौते से शास्त्री जी बहुत खुस नहीं थे. परन्तु कौन जनता था की यह उनकी आखरी रात थी. वे दूसरे दिन काबुल के रस्ते भारत आने वाले थे परन्तु यहाँ उनका पार्थिव शरीर ही पहुँच पाया था.

कहा तो ये गया की दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हुई थी परन्तु उनके नीले पड़े शरीर ले कारन जहर के प्रयोग से इंकार नहीं किया जा सकता। उससे भी गंभीर बात ये है की उनके शरीर का कोई पोस्ट मॉर्टम भी नहीं कराया गया, न तासकंद में न ही भारत में. उनकी मृत्यु के बाद जब एक सांसद ने लोकसभा में इसे हत्या बता कर बयां दिया तब एक जाँच आयोग बैठाया गया परन्तु गवाही देने जाते वक्त उनके निजी सेवक रामलाल की वहां दुर्घटना में मृत्यु इस रहस्य को और गहरा कर देती है.

शक की सुई निश्चित रूप से तत्कालीन शासकों पर जाती है. लाल बहादुर शास्त्री के मृत्यु से संवंधित दस्तावेज भी आज तक रहस्यमय कारणों से आज तक सार्वजनिक नहीं किये गए. उनकी मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बानी और तबसे ले कर आज तक कॉंग्रेस् पार्टी केवल नेहरू-गांधी परिवार के गुणगान में लगी है. शास्त्री जी को कोंग्रेसी यदा कदा ही याद करते हैं जैसे वे अन्य किसी पार्टी के नेता हों।

अभी हाल ही में शास्त्री  जी के बेटे अनिल शास्त्री ने उनकी मृत्यु से संवंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग की है. आश्चर्य की बात ये है की अनिल शास्त्री कांग्रेस के बड़े नेता हैं एवं कई बार सांसद भी रह चुके हैं लेकिन कांग्रेस के राज में, सांसद रहते हुए उन्होंने ये मांग क्यों नहीं की?

 लाल बहादुर शास्त्री सच्चे अर्थों में गांधीवादी थे और उन्होंने सादगी एवं ईमानदारी की मिसाल कायम की साथ ही राजनैतिक जीवन में नैतिकता के उच्चतम मानदंडों को स्थापित किया।  रेल मंत्री रहते हुए एक मामूली सी दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने अपने पद से त्याग पात्र दे दिया था.

कौन सोच सकता है की देश के गृहमंत्री जैसे उच्चतम पद पर रहते हुए भी उन्हें अपना खर्च चलने के लिए अख़बारों में लेख लिखना पड़ता था और फिएट जैसे एक मामूली से कर खरीदने के लिए बैंक से सात हज़ार रुपये का क़र्ज़ लेना पड़ा था. १९६० में देश में आये अनाज संकट को देखते हुए उन्होंने एक समय का भोजन भी छोड़ दिया था. "जय जवान जय किसान" का उनका नारा इतना लोकप्रिय हुआ की लोग उसे आज भी याद करते हैं. मात्र १९ महीने का उनका छोटा सा कार्यकाल भारत की जनता के दिलों दिमाग में अमिट छाप छोड़ गया है.

आज २ अक्टूबर उनका जन्म दिन है और यह बापू का भी जन्म दिन है. बापू के सच्चे अनुयायी ने उन्हीके जन्मदिन पर जन्म लिया था. आज हम सभी भारतवासी उन्हें नमन करते हैं और आशा करते हैं की उनके मृत्यु पर से रहस्य का पर्दा जल्दी खुलेगा। कृतज्ञ राष्ट्र की उनके प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

Jyoti Kothari
Convener, Jaipur division
Prabhari, West Bengal,
Narendra Modi Vichar Manch

चित्र सौजन्य:
१. By Viksb (Own work) [CC BY-SA 3.0 (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0)], via Wikimedia Commons
२. By Darjac (Scanned by Darjac) [Public domain], via Wikimedia Commons
३. By Narendra Modi [CC BY-SA 2.0 (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/2.0)], via Wikimedia Commons




No comments:

Post a Comment