इसरो द्वारा निर्मित स्वदेशी प्रक्षेपण यान PSLV 34 |
आज जिन उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेज गया उनमे से १३ अमरीका के, इंडोनेशिया, जर्मनी, आदि देशों के ४ और भारत के ३ उपग्रह शामिल हैं. अमरीकी सैटेलाइटों में से एक गूगल का भी है. भारतीय उपग्रहों में से एक पुणे कॉलेज ऑफ़ इंजिनीरिंग के छात्रों ने बनाया है. मात्र ९९० ग्राम के इस सैटेलाइट का नाम "स्वयं" है. भारत की यह सफलता पूर्णतः स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और इसके लिए इसरो के सभी वैज्ञानिक एवं अन्य कर्मीदल वधाई के पात्र हैं.
कृत्रिम उपग्रह निर्माण एवं प्रक्षेपण का विश्वव्यापी बाज़ार बहुत बड़ा है और भारत इसमें एक प्रमुख खिलाडी के रूप में उभरा है. इसरो द्वारा प्रक्षेपण की लगत दुनिया के अन्य देशों के मुक़ाबले मात्र १० प्रतिशत है अर्हत अन्य देशों से प्रक्षेपण कराने पर भारत से दस गुनी कीमत अदा करनी पड़ती है. अपने किफायती तकनीक के कारण इसरो विश्व बाज़ार में एक सक्षम प्रतिद्वंदी में तेजी से उभर रहा है अब तक ६६० करोड़ रुपये का कारोबार कर लिया है.
अंतरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में इस बड़ी कामयाबी के लिए इसरो के वैज्ञानिकों एवं सम्पूर्ण भारतवासियों को पुनः वधाई। यह कामयाबी परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की दावेदारी को और मज़बूत करेगा और चीन को भारत विरोध त्याग करने की दिशा में कदम बढाने किदिशा में सोचना पड़ेगा।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के विश्व महाशक्ति बनने की ओर बढ़ते कदम
Regards,
Jyoti Kothari
Convener, Jaipur division
Prabhari, West Bengal,
Narendra Modi Vichar Manch
फोटो: By Ashutoshrc (Own work) [CC BY 3.0 (http://creativecommons.org/licenses/by/3.0)], via Wikimedia Commons
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