NSG में भारत की राह रोकनेवाले चीन को सबक सिखाना जरूरी है. NSG अर्थात परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में कुल ४८ देश हैं जिनमे अमरीका, रूस, फ़्रांस सहित ४२ देशों ने भारत के प्रवेश का समर्थन कर दिया था. केवल चीन ने ही भारत विरोध का अपना अड़ियल रूख कायम रखा. अमरीका ने तो वाकायदा सभी सदस्य देशों को पत्र लिख कर भारत का समर्थन करने अनुरोध किया था.
Updated map of the governments participating in the Nuclear Suppliers Group |
शुरू में कुछ देश भारत का विरोध कर रहे थे परन्तु प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के बाद स्वीजरलैंड एवं मेक्सिको ने भारत का समर्थन कर दिया था. अंतिम दिन तो ऑस्ट्रिया, न्यूज़ीलैंड, तुर्की आदि देश भी नरम पड़ गए थे. परन्तु प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अनुरोध के वावजूद चीन के राष्ट्रपति जिन पिंग ने अपना रवैय्या नहीं बदला और भारत विरोध की नीति पर कायम रहे.
NSG अर्थात परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में किसी नए राष्ट्र का प्रवेश सर्वसम्मति से ही हो सकता है और अकेले चीन के विरोध के कारण भारत इसका सदस्य नहीं बन पाया। अभी दो-तीन रोज पूर्व दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में NSG सदस्य देशों की बैठक हुई थी. दक्षिण कोरिया ने अपने मेजबान होने का फ़र्ज़ अदा करते हुए सदस्य देशों में सहमति बनाने का भरपूर प्रयास किया।
कल अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने एक बयान जरी कर कहा है की भारत को NSG की सदस्यता दिलाने के लिए अमरीका पूरा प्रयास करेगा और यह सुनिश्चित करेगा की इस वर्ष के अंत तक भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता मिल जाए. यह नरेंद्र मोदी जी के कूटनीतिक प्रयासों की सफलता है.
हम भारत की जनता को भी इस प्रयास में अपनी भूमिका निभानी है और चीन को सबक सीखाना है. अर्थनीति रूप से चीन पर चोट करना है और उसके लिए चीनी सामानों का बहिष्कार आवश्यक है. यदि भारत के लोग चीनी सामान खरीदना बंद कर दें तो पहले से ही मंदी से जूझ रहे चीनी उद्योगों को भारी झटका लगेगा. उनके बहुत से उद्योग तो बंद ही हो जायेंगे ऐसी स्थिति में चीन को भारत विरोध की अपमी नीति त्यागने को मज़बूर होना पड़ेगा।
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Regards,
Jyoti Kothari
Convener, Jaipur division
Prabhari, West Bengal,
Narendra Modi Vichar Manch
Jyoti Kothari
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Prabhari, West Bengal,
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