नरेंद्र मोदी पर पिछले कुछ दिनों से राहुल गाँधी रिश्वतखोरी के झूठे और अनर्गल आरोप लगा रहे हैं. परंतु उन्ही की कोंग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित ने उसे नकार दिया है. शीला दीक्षित दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकीं हैं और अभी कोंग्रेस की और से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार हैं.
आरोपों को नकारते हुए शीला दीक्षित |
इन्ही दस्तावेजों को आधार बनाकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने डेढ़ महीने पहले उसी तथ्यहीन आरोपों का इस्तेमाल प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने के लिए करना शुरू कर दिया। अपनी राजनैतिक जमीन खोने के डर से बेहाल कोंग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी फिर से उसी पुराने आरोप को पेश कर दिया। उन्होंने यह कहा था की जब मैं बोलूंगा तो भूचाल आ जायेगा, परंतु खोदा पहाड़ निकली चुहिया। उनके पास कोई नए तथ्य नहीं थे और वही पुराने घिसे पीटे बेबुनियाद आरोप जड़ दिये।
इस बचकानी हरकत से राहुल गाँधी की ही जग हसाई हुई; वैसे भी लोगों ने उन्हें गंभीरता से लेना बंद कर दिया है. परंतु इससे भी बड़ी मुश्किल उनके लिए कोंग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित ने कड़ी कर दी है. जिन दस्तावेजों के आधार पर नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाए जा रहे हैं उन्ही में शीला दिक्षीत का भी नाम है और उन्होंने इसे आधारहीन दस्तावेज बताया है. इसका अर्थ ये हुआ की जिन दस्तावेजों को राहुल गाँधी प्रामाणिक बता रहे हैं उन्ही दस्तावेजों को शीला दीक्षित आधारहीन बता रहीं हैं.
राहुल गाँधी अपने आधारहीन आरोपों और बेबुनियाद बातों के कारण जनमानस में अपनी विश्वसनीयता और प्रासंगिकता खोते जा रहे हैं. अभी दो दिन पहले ही नोटबंदी को ९९% गरीब जनता पर आघात कह कर वे फंस चुके हैं. भारत की जनता यह पूछ रही है की राहुल गाँधी, ९९% गरीबी का जिम्मेदार कौन? उन्हें कुछ भी बोलने से पहले खासकर नरेंद्र मोदी जैसे कर्मठ, जुझारू एवं लोकप्रिय नेता पर ऊँगली उठाने से पहले कई बार सोच लेना चाहिए।
सादर,
संयोजक, जयपुर संभाग,
प्रभारी, पश्चिम बंगाल,
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