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Wednesday 10 June 2020

आत्मनिर्भर बनें, चीन नहीं भारत में बने सामान का उपयोग करें


आत्मनिर्भर भारत- चीन पर निर्भरता कम करें 



आत्मनिर्भर बनने के लिए भारतीयों को चीन नहीं भारत में बने सामान का उपयोग करना चाहिए. पिछले कुछ वर्षों से हम चीन से कुछ  ज्यादा ही आयात करने लगे हैं. चीनी सामान पर हमारी निर्भरता लगातार बढ़ती ही जा रही है. इससे जहाँ घरेलु उद्योगों को नुकसान हो रहा है, भारत में रोजगार कम हो रहे हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है वहीँ चीन बड़ा मुनाफा कमा रहा है. हम अपना नुकसान कर चीन को समृद्ध कर रहे हैं. 

 भारत के कारखाने 

चीन की विस्तारवादी नीति और उसका अर्थतंत्र 


चीन विश्वभर में कोरोना फ़ैलाने के बाद अपनी विस्तारवादियों नीतियों के तहत अन्य देशों की जमीन हड़पने की योजना में लगा हुआ है. ताइवान, हांगकांग के बाद अब उसकी दृष्टि भारत पर है. लद्दाख के गलवान घाटी और आसपास के भारतीय इलाकों में उसकी फौज घुसपैठ कर रही है. यद्यपि भारतीय सेना भी PLA को मुहतोड़ जवाब दे रही है. लेकिन ध्यान देनेवाली बात ये है की आर्थिक समृद्धि ने चीन को बेलगाम कर दिया है, चीन बेहद शक्तिशाली भी हो गया है, इसमें कोई संदेह नहीं. यदि चीन को रोकना है तो हमें उसकी आर्थिक नाकाबंदी करनी होगी, उसके अर्थ तंत्र की रीढ़ को तोड़नी होगी. इसके लिए आवश्यक है की हम आत्मनिर्भर बनें, चीन में बने सामान का नहीं भारत में बने सामान का उपयोग करें।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेड इन इंडिया के लोगो का विमोचन करते हुए 

इस सम्वन्ध में समय समय पर लिखता रहा हूँ. पिछले कुछ दिनों में मैंने व्हाट्सएप पर कुछ पोस्ट डाले थे जिसे व्यापक सराहना मिली एवं हज़ारों की संख्या में वे मेसेज फॉरवर्ड भी हुए.

Will China break like the USSR

भारत का चीन से आयात 

व्हाट्सएप मेसेज १

भारत चीन से प्रतिवर्ष लगभग100 अरब डॉलर अर्थात साढ़े सात लाख करोड़ रुपये (750,000, 000,0000) के समान का आयात करता है)। जरा विचार कीजिये ये रकम कितनी बड़ी है?

यदि भारत मे 25 करोड़ परिवार मानें तो प्रति परिवार औसत 30,000 रुपये हम चीनी समान पर ख़र्च करते हैं, और हर परिवार इतनी बड़ी रकम चीन को हर साल दे रहा है!!

अफसोस कि बात ये है कि यह पैसा किसी जरूरी चीज खरीदने में नही बल्कि मनोरंजन के साधन, खिलौने, गहने, फैंसी कपड़े और जूते, मोबाइल जैसे गैरजरूरी समान पर खर्च करते हैं।

इन्ही पैसों के बल पर उसके नेता और उसकी सेना भारत को आंख दिखाती है।

यदि हम भारत मे बने समान का उपयोग करें तो इतनी बड़ी रकम से 3 करोड़ भारतीयों को रोजगार मिल सकता है और भारत से बेरोजगारी खत्म हो सकती है। इससे चीन भी घुटनों के वल आ जायेगा और उसकी सारी हेकड़ी निकल जायेगी।

ज्योति कोठारी, जयपुर

आत्मनिर्भर भारत
राष्ट्रधर्म

भारत का सकल घरेलु उत्पाद एवं चीन से आयात 


व्हाट्सएप मेसेज २ 


विश्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पाद कोरोना महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष में -3.2 प्रतिशत रहेगा।

अभी भारत का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 2.9 ट्रिलियन डॉलर अर्थात 2900 बिलियन डॉलर है। इसका 3.2 प्रतिशत लगभग 93 बिलियन डॉलर होता है। अर्थात कोरोना के कारण गत वर्ष की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था को 93 अरब डॉलर यानी 7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।

दूसरी ओर हम केवल चीन से ही साढ़े सात लाख करोड़ रुपये का सामान आयात करते हैं। यदि हम चीनी समान नही खरीदें तो ये समान भारत मे ही बनेगा और कोरोना से होनेवाले अर्थव्यवस्था के नुकसान की भरपाई हो सकेगी।

ज्योति कोठारी, जयपुर
आत्मनिर्भर भारत
राष्ट्रधर्म

भारतवासियों से आह्वान 


अब हम भारतवासियों को राष्ट्रधर्म निभाना है. देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आत्मनिर्भर भारत बनाने का कार्य करना है. इसके लिए आवश्यक है की हम चीनी वस्तुओं पर अपनी निर्भरता कम करें और भारत में बनी स्वदेशी वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग करें. मेक इन इंडिया को सफल बनायें.

भारत के उद्योगपतियों व व्यापारियों से आह्वान 



इसके लिए व्यापारियों और उद्योगपतियों को भी आगे आना होगा और उन्हें ये समझना होगा की अच्छी गुणवत्ता और सस्ती कीमत ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने का उपाय है. अतः उन्हें भी स्वार्थ और मुनाफा खोरी छोड़ कर उचित मुनाफे से माल उपलब्ध कराना होगा. यदि उद्योगपति एवं व्यापारी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे और अपने लाभ के साथ जनहित और राष्ट्रहित में काम करेंगे तभी जनता भी उनका साथ देगी और वोकल फॉर लोकल होगी. यही सबके हित में होगा.



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