चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ भारत की कांग्रेस पार्टी का गुप्त समझौता
इन दिनों ये खबर सामने आ रही है कि UPA सरकार के दौरान 2008 में काँग्रेस पार्टी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से एक गुप्त समझौता किया था। सोनिया और राहुल की अगुवाई में हुए इस समझौते का कोई विवरण अभी तक न भारत सरकार न जनता के सामने आया है। सरकार में रहते हुए देश के एक सबसे पुराने राजनैतिक दल का किसी विदेशी राजनैतिक दल से समझौता, वो भी गुप्त, समझ परे है.
याद होगा कि डोकलाम संकट के समय राहुल गांधी गुप्त रूप से चीनी दूतावास गए थे, खबर सामने आने पर राहुल ने इससे इंकार किया था. हालांकि बाद में चीनी दूतावास द्वारा मुलाकात की फ़ोटो अपनी वेबसाईट में डालने के बाद राहुल गांधी को अपनी झूठ स्वीकारनी पड़ी थी।
गलवान घाटी, लद्दाख में चीन से विवाद के बाद कॉंग्रेस की भूमिका
अभी ताजा गलवान घाटी विवाद के बाद वरिष्ठ काँग्रेसी नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर चीन को भारत का अहम रणनीतिक साझेदार बताया। काँग्रेस के ही एक और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि चीन का एक भी सैनिक गलवान में मारा नही गया।
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि चीनी समान के वहिष्कार से भारत को ही नुकसान होगा। इन सभी बातें महज संयोग नही है। कहीं ये सब किसी बड़े षडयंत्र का हिस्सा तो नही? ध्यान रखना होगा कि भारत हमेशा सत्ता के भूखे गद्दारों से ही हारा है।
ये बात सभी जानते हैं की कॉंग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर रहने की आदत नहीं है और वो लगातार दो बार देश का आम चुनाव हार चुकी है. राज्यों में भी कॉंग्रेस की सत्ता सिमटती जा रही है. उसके बड़े नेता एक एक कर पार्टी छोड़ते जा रहे हैं. एक परिवार की बफादारी में आम जनता से उसका संपर्क टूट चूका है. ऐसे में जमीनी काम करने के बजाय यह पार्टी कहीं षड़यंत्र के माध्यम से तो सत्ता में पहुंचना नहीं चाहती?
क्या चीन के साथ काँग्रेस की कोई सांठगांठ है?
देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से ही कांग्रेस की चीन के प्रति नरम नीति रही है. अमरीका की पेशकश के बाबजूद उन्होंने सुरक्षा परिषद् में भारत के लिए स्थयी सीट ठुकरा दी थी, और यह सीट अर्थात वीटो पावर चीन को दे दिया था. अक्साई चीन का हिस्सा चीन को देना आदि ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिससे ऐसा स्पष्ट लगता है की नेहरू भारत से ज्यादा चीन के प्रति झुकाव रखते थे.
आज भी कॉंग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में लद्दाख संकट के लिए भाजपा की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है. आज जब सभी प्रमुख विपक्षी दल; यहाँ तक की कांग्रेस के अनेक सहयोगी दल, राष्ट्रिय कॉन्ग्रेस पार्टी एवं शिव सेना भी सरकार के साथ है, तब भी लगातार आक्रामक रूप से कोंग्रेस सरकार एवं भाजपा पर हमलावर है.
क्या चीन के साथ काँग्रेस की कोई सांठगांठ है? इस संकट के समय सोनिया, राहुल और सभी कांग्रेसियों के प्रधानमंत्री मोदी पर आक्रामक बयानों से तो ऐसा ही लगता है।
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