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Friday 4 March 2016

कन्हैया लाल एवं रोहित बेमुला विमर्ष


 कन्हैया लाल ने आज कहा की रोहित बेमुला  उसका आदर्श है
कन्हैयालाल उत्तेजित मुद्रा में
 कन्हैया लाल ने आज कहा की रोहित बेमुला  उसका आदर्श है और घर घर में रोहित बेमुला  पैदा होना चाहिए।  कन्हैया जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष है एवं राष्ट्रद्रोह के एक मामले में सशर्त अंतरिम जमानत पर है.

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित बेमुला ने आत्महत्या की और इसके लिए पूरा देश दुखी है एवं उससे सहानुभूति रखता है। परन्तु वह युवकों/ छात्रों का आदर्श कैसे हो सकता है?  क्या उसे आदर्श बता कर कन्हैया युवकों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करना चाहता है?

देश का, युवकों का आदर्श वो होता है जो किसी नेक काम के लिए अपनी शहादत दे जैसे आज़ादी की लड़ाई के वीर सिपाही नेताजी सुभाष चन्द्र बसु या शहीद ए आज़म भगत सिंह; या सीमा पर लड़ते हुए हस्ते हुए जान की बाज़ी लगा देनेवाले. देश का आदर्श वो भी होता है जो  या किसी अच्छे काम के लिए संघर्ष करते हुए जीवन बीता दे. कभी कभी संघर्ष के बल पर व्यक्तिगत लक्ष्य प्राप्त करनेवाले भी आदर्श बन जाते हैं और उनका जीवन-संघर्ष लोगों को, खास कर युवाओं को प्रेरणा देता है. परन्तु संघर्ष न कर आत्महत्या करनेवाला नौजवानो का/ छात्रों का आदर्श कैसे हो सकता है?

हमें भी पुरे देश की तरह रोहित बेमुला जैसे नौजवानो से हमदर्दी है और जिस बेरहम तंत्र के कारन छात्रों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है उसे बदलने के लिए सभी को मिल कर प्रयास करना चाहिए। वर्त्तमान सरकार इस दिशा में भरसक प्रयत्न भी कर रही है और उसे ही कटघरे में खड़ा कर कुछ निहित स्वार्थी तत्व क्या हासिल करना चाहते हैं?

अभी दो दिनों में एक बात तो अच्छी हुई की कन्हैया ने भी देशभक्ति के नारे लगाने शुरू कर दिए, उसके भाषण के शब्द ही बदल गए परन्तु राजनैतिक रोटी सेकने के लिए दिए गए उसके भाषण में रोहित बेमुला को अपना और देश का आदर्श बताना उसके ढकोसले की पोल खोल देता है. उसने ये भी  कहा की उसे देश से नहीं देश में आज़ादी चाहिए। आज देश में हर किस्म की आज़ादी है जैसे बोलने की आज़ादी, मतदान की आज़ादी, आदि आदि. गरीबी से आज़ादी के लिए मेहनत करनी पड़ती है, पसीना बहाना पड़ता है; नारे लगाने से गरीबी से आज़ादी नहीं मिलती.

देश की बहुत सी राजनैतिक पार्टियां आज उसके समर्थन पे जोरो से उतर आई है, मिडिया भी उसे बहुत प्रोत्साहन दे रहा है. क्या इन सभी को आत्महत्या के लिए उकसानेवाला नहीं माना जाना चाहिए?

यहाँ पर यह भी देखना होगा की कन्हैया की उम्र २९ वर्ष है और वह अभी तक विश्वविद्यालय में पढ़ रहा है. हम ये भी जानना चाहते है की वो कबसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ रहा है? उसकी पढाई अभी तक पूरी क्यों नहीं हुई? क्या वो पढाई के उद्देश्य से ही वहां है या उसका कोई राजनैतिक उद्देश्य भी है? जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मुफ्त पढाई का खर्च जनता के टैक्स से जाता है अतः हमें भी ये सब जानने का अधिकार है.

क्या लाल बहादुर शास्त्री के मृत्यु का रहस्य अब खुलेगा?


Regards,
Jyoti Kothari
Convener, Jaipur division
Prabhari, West Bengal,
Narendra Modi Vichar Manch