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Wednesday 29 June 2016

सातवें वेतन आयोग से बढ़ेगी महंगाई और बेरोजगारी


Endless hunger of government employees #7thpaycommission

सरकारी कर्मचारियों की बढ़ती भूख  
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है. इस के असर से महंगाई और बेरोजगारी बढ़ेगी। केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन औसतन २३.५ फ़ीसदी बधाई गई है. इससे केवल ४७ लाख वर्त्तमान एवं ५२ लाख पूर्व कर्मचारियों को लाभ होगा जबकि इसका भर देश की १२५ करोड़ जनता को उठाना पड़ेगा। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागु करने से केंद्र सरकार पर 1लाख २ हज़ार करोड़ रुपये का अतिरिक्त सालाना बोझ पड़ेगा, और यह रकम जनता से वसूले हुए टैक्स में से जायेगा।

Report 7th Pay commission 1

Report 7th Pay commission 2
इसका एक पहलु ये भी है की विकास के काम में कमी होगी। देश का वीकास अवरुद्ध होगा और GDP विकास दर में भी कमी आएगी। दुसरी ओर इससे मुद्रास्फीति बढ़ेगी जिसका अनिवार्य परिणाम महंगाई के रूप  में आएगा। साथ ही मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के कारण व्याज दरें या तो  बढ़ेगी या स्थिर रहेगी; व्याज दर नहीं घटने से उद्योग-व्यापर के लिए क़र्ज़ महंगा होगा और उनके विकास दर में भी कमी आएगी। जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी।

इसका एक दूसरा पहलु ये भी है है राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के लिए सरकार नई नियुक्ति नहीं करेगी और इससे भी बेरोजगारी बढ़ेगी।  केंद्रीय  वेतन बढ़ने पर राज्य सरकारों में भी वेतन बढ़ने  होगी और यह दुष्चक्र फिर से तेज गति से चलेगा।

सरकारी कर्मचारियों का वेतन वैसे भी अन्य निजी कर्मचारियों की तुलना में लगभग दुगुना है. यदि असंगठित क्षेत्र की बात करें तो यह लगभग चार से पांच गुना है. वेतन के अलावा अन्य भत्ते, छुट्टियां एवं अन्य सुविधाएँ इसके अतिरिक्त है. ऐसी स्थिति में सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ाना कहाँ तक वाजीव है?

पांचवें वेतन आयोग ने 52प्रतिशत और छठे वेतन आयोग  वीस प्रतिशत वेतन वृद्धि की थी. उस समय कर्मचारी संगठनों ने तत्कालीन सरकार पर दवाव डालकर इसे चालीस प्रतिशत करवा लिया था. इस तरह दोनों वेतन आयोगों का मिलाकर कुल वृद्धि ११३ प्रतिशत हो गई थी. (१००+५२ =१५२ +४०%= २१३). इस पर २३.५ प्रतिशत जोड़ने पर यह हो जाता है २६३ अर्थात १६३ प्रतिशत की वृद्धि!!!  यह नियमित वेतन वृद्धि एवं महंगाई भत्ते के अतिरिक्त है. अर्थात सरकारी कर्मचारियों को महंगाई का असर नहीं होता और ऊपर से इतनी ज्यादा वृद्धि दर!! हर सरकार लगातार सरकारी कर्मचारियों के आगे झुकती रही है और जनता जागरूक नहीं हुई तो आगे भी झुकती रहेगी। सबसे बड़ी बात ये है सरकारी कर्मचारी इस बढ़ोतरी से भी संतुष्ट नहीं हैं और हड़ताल पर जाने की धमकी दे रहे हैं.

सामान्य जनता तो सरकारी कर्मचारियों के रवैय्ये से वैसे ही नाखुश है, उन्हें लगता है की वे काम तो कम करते हैं और वेतन-सुविधाएँ अधिक लेते हैं. अब जनता को ही जागरूक हो कर इस प्रवृत्ति का मुखर विरोध करना होगा और अपने जन-प्रतिनिधियों को इसके विरुद्ध संसद और विधान सभाओं में आवाज उठने के लिए मजबूर करना होगा।

आर्थिक प्रगति के लिए शिक्षा जरुरी साक्षरता नहीं


Suggestions to PMO 9: Jobs in Organized sector vs Unorganized sector in India

सादर,
ज्योति कोठारी,
संयोजक, जयपुर संभाग,
प्रभारी, पश्चिम बंगाल,
नरेंद्र मोदी विचार मंच

फोटो: By மா.ராஜ் (Own work) [CC BY-SA 4.0 (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/4.0)], via Wikimedia Commons

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