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Friday, 29 March 2024

षड़यंत्र: चुनाव के समय भारत पर विदेशी टिप्पणियां

 

षड़यंत्र: चुनाव के समय भारत पर विदेशी टिप्पणियां 



अनेक विदेशी शक्तियां भारत के विरुद्ध लगातार षड़यंत्र कर रही है. अमरीका, कनाडा, जर्मनी, .... ये सभी भारत के आन्तरिक मामलों में बेतुकी टिपण्णी कर रहे हैं, झूठे आरोप भी लगा रहे हैं. यूरोपीय एवं अमरीकी एजेंसियां भुखमरी या Happiness इंडेक्स के माध्यम से भारत को घेरने की कोशिश कर रही है. ऐसा विशेषकर लोकसभा चुनाव के समय किया जा रहा है जिससे नरेंद्र मोदी एवं भाजपा के खिलाफ माहौल बनाया जा सके. 

नरेंद्र मोदी, भाजपा और कमल निशान 

यह स्वाभाविक भी है और विभिन्न राष्ट्रों की विदेश निति एवं कूटनीति का एक प्रमुख भाग है. हर देश अपने राष्ट्रहित को सुरक्षित रखने, बढ़ाने एवं अन्य देशों को कमजोर करने की रणनीति पर काम करती है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार अपने राष्ट्रहित को आगे रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती है. पश्चिमी देशों- यूरोप और अमरीका ने पिछले तीन चार सौ वर्षों तक औपनिवेशिक शासन के माध्यम से दुनिया पर राज किया है. इसलिए उनकी ऐसी आदत हो गई है की एसिया और अफ़्रीकी देशों के साथ वे गुलामों जैसा व्यवहार करें. लेकिन 21 वीं सदी में एशियन देशों खासकर भारत का  उभर कर आना उन्हें पच नहीं रहा. 2014 के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है. 

भारत की अर्थव्यवस्था  पिछले 10 वर्षों में ही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व में 12 वें से 5 वें पायदान पर आ गई है और तीन चार वर्षों में ही तीसरे स्थान पर पहुँच जाएगी. ऐसा करते हुए उसने इटली, ग्रेट ब्रिटेन, फ़्रांस, जैसी शक्तिशाली यूरोपीय देशों को पछाड़ा है और आनेवाले कुछ ही वर्षों में जर्मनी और जापान को पीछे छोड़नेवाली है. 


पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्बोधन 

आर्थिक महाशक्ति बनने के साथ साथ भारत की सैन्य शक्ति में भी भरी बढ़ोतरी हुई है. राफेल, S-400, पिनाका, स्वदेशी तेजस और AMCA ने भारत की वायुशक्ति को कई गुना बढ़ा दिया है. ब्रह्मोस और अग्नि 5 मिसाइल, स्वदेशी BMD, LRSAM, SAMAR २ जैसे मिसाइल डिफेंस सिस्टम अमरीका, रूस, चीन जैसे देशों के लिए भी ईर्ष्या का विषय बन चुके हैं. विश्व का सर्वाधिक हथियार आयातक देश से भारत अब हथियार निर्यात में अमरीका, रूस, चीन, फ़्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों को टक्कर देने के लिए तैयार हो रहा है. पूर्व की भारतीय सरकारें बहुत जल्दी वैश्विक दवाव में आ जाती थी लेकिन नरेंद्र मोदी ने उनसे आँख से आँख मिला कर बात करना शूरू किया. इसमें विदेशमंत्री एस जयशंकर ने भारत की कूटनीति में बड़ी भूमिका निभाई. चाहे रूस से तेल खरीदना हो या S-400, भारत ने अमरीकी प्रतिबंधों की परवाह नहीं की.

अग्नि 5 मिसाइल

 इन सब कारणों से अमरीका एवं अन्य शक्तिशाली पश्चिमी देश नहीं चाहते की भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार तीसरी बार चुन कर आये. उन्हें चाहिए कठपुतली सरकार जो उनके इशारे पे काम करे. भारत की ताकत बढ़ने से चीन एवं पाकिस्तान को भी भरी नुकसान हुआ है और वो भी नरेंद्र मोदी नीट भाजपा के स्थान पर भारत के केंद्र में एक कमजोर गठबंधन की सरकार देखना चाहते हैं जो उनके इशारों पर काम करे और उनके दबाव के आगे झुक जाये. 

अभी हाल ही में ED द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की शराब घोटाला मामले में गिरफ़्तारी के बाद जर्मनी के राजदूत ने अनावश्यक टिपण्णी की. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा तालाब करने के बाद जर्मनी के सुर ढीले पड़े ही थे की अमरीकी राजदूत ने एक पत्रकार के प्रश्न के जवाब में वैसी ही टिपण्णी कर दी. हालाँकि भारत ने उन्हें भी बुलाकर 40 मिनट तक अच्छे से खरी खोटी सुनाई और भारत के आन्तरिक मामलों से दूर रहने की सलाह दी. इसके बाबजूद अगले ही दिन अमरीका के अधिकारीयों ने अमरीका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयकर विभाग द्वारा  कॉंग्रेस पर की गई कार्यवाही पर अनावश्यक टिपण्णी की. 


German Embassy to India Georg Enzweiler

निज्जर मामले में भारत के खिलाफ अनर्गल आरोप लगाने के बाद भारत के जवाब एवं कार्यवाही से घबरा कर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो बैकफुट पर चले गए थे लेकिन अभी माहौल देखकर उन्होंने भी इस मामले को फिर से सुलगाना शुरू कर दिया है. वैसे ये बात तय है की भारत की जनता ने अपना मन बना लिया है और इन सभी विदेशी टिप्पणियों के बाबजूद इस बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है और NDA अबकी बार चार सौ पार!! 

सादर,
संयोजक, जयपुर संभाग,
प्रभारी, पश्चिम बंगाल,


Sunday, 17 March 2024

अबकी बार चार सौ पार


"अबकी बार चार सौ पार" 2024 लोकसभा चुनाव में यह नारा है भारतीय जनता पार्टी का. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने जा रही है. यूँ तो सरकार बनाने के लिए लोकसभा में 273 सदस्य ही काफी हैं लेकिन भाजपा ने 2014 एवं 2019 में भी इससे अधिक संख्या में जीत हासिल की थी. NDA के अपने सहयोगियों के साथ तो ये आंकड़ा और भी बहुत ज्यादा था. लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा का परिवार एवं लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है. 10 वर्षों के शासन के बाद भी कहीं कोई सरकार विरोधी लहार नहीं दिख रहा है. मोदी नीत भाजपा सरकार ने भारत में ही नहीं पुरे विश्व में कामयाबी के झंडे गाड़े हैं. 

भाजपा का कमल निशान 


इस सरकार के कार्यकाल में भारत विश्व में 11वीं से पांचवीं अर्थव्यवस्था बन चुकी है और शीघ्र ही तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है. देश की जीडीपी वृद्धि की दर विश्व में सर्वाधिक है. जहाँ युरोप और जापान की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है, चीन कर्ज के मकड़जाल में फंस कर अपने डगमगाते अर्थव्यवस्था को संभालने की कोशिश कर रहा है; वहीँ भारतीय अर्थव्यवस्था दनदनाते हुए आगे बढ़ रही है. भारत विश्व की आर्थिक और सैन्य महाशक्ति बनने की ओर तेजी से और दृढ़ता से कदम बढ़ा रहा है. यह नरेंद्र मोदी एवं उनकी टीम की सूझबूझ, ईमानदारी एवं कठोर परिश्रम का ही परिणाम है. 

भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थ व्यवस्था 


भारत से शत्रुता रखनेवाले पड़ौसी देश पाकिस्तान की स्थित किसी से छिपी नहीं है, वह दिवालियेपन की ओर बढ़ रहा है. चीन के बारे में बता ही चुके हैं. इन दोनों ही देशों को सामरिक मोर्चे पर भारत कड़ी चुनौती दे रहा है. सीमा क्षेत्र में निरंतर आवश्यक निर्माण कार्य से पाकिस्तान ही नहीं चीन भी भौचक्का है. राफेल हो या अग्नि ५ मिसाइल, या पिनाका और बज्र भारत का सैन्य आधुनिकीकरण भी अपने पुरे शबाब में है. 

कश्मीर से धारा 370 हट गया, अयोध्या में राम मंदिर बन गया, कई भाजपा शासित राज्यों में सामान नागरिक संहिता भी लागु हो गई. अभी कुछ ही दिनों पूर्व देश में CAA भी लागु कर दिया गया. गरीबी कम हो गई और प्रति व्यक्ति आय तेज गति से बढ़ रहा है जिससे लोगों का जीवन स्तर तेजी से ऊपर उठ रहा है. भारत का शेयर बाजार उफान पर है और निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज़ की जा रही है. विदेशी मुद्रा भंडार 635 अरब डॉलर के पर पहुँच गया है.

विपक्ष के INDI गठवन्धन का प्रयोग बुरी तरह विफल हो गया और भाजपा नीत NDA में दलों की संख्या बढ़ गई. राहुल गाँधी की न्याय यात्रा में लोग कहने लगे की कॉंग्रेस में ही न्याय नहीं मिलता! बड़ी संख्या में लोग कॉंग्रेस छोड़ कर भाजपा में आ रहे हैं. अन्य विपक्षी दलों की भी ये ही स्थिति है. परिवार बड़ी पार्टियां , अपनी अंतिम सांसे गईं रही है. शरद पवार, उद्धव ठाकरे, लालूप्रसाद यादव, अखिलेश यादव..... सबका बुरा हाल है.  

मजबूत क्षेत्रीय नेता के रूप में प्रख्यात ममता बनर्जी एवं स्टालिन की स्थिति भी अच्छी नहीं है. संदेशखाली प्रकरण के बाद बंगाल में ममता दीदी के भी पसीने छूट रहे हैं. दूसरी ओर सनातन के विरोध का स्टालिन का दांव भी तमिलनाडु में उल्टा पड़ता जा रहा है. बड़ी संख्या में भ्रष्टाचारी नेता जेल और बेल के चक्कर में फंसे हैं. कट्टर ईमानदार होने का दावा करनेवाले अरविन्द केजरीवाल जेल जाने के कगार पर हैं. 

ऐसी स्थिति में इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा का 400 पार जाना तय है. 

विपक्षियों में हाहाकार, भाजपा चार सौ पार 


सादर,
संयोजक, जयपुर संभाग,
प्रभारी, पश्चिम बंगाल,

Tuesday, 23 June 2020

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ भारत की कांग्रेस पार्टी का गुप्त समझौता क्यों?


चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ भारत की कांग्रेस पार्टी का गुप्त समझौता


इन दिनों ये खबर सामने आ रही है कि UPA सरकार के दौरान 2008 में काँग्रेस पार्टी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से एक गुप्त समझौता किया था। सोनिया और राहुल की अगुवाई में हुए इस समझौते का कोई विवरण अभी तक न भारत सरकार न जनता के सामने आया है। सरकार में रहते हुए देश के एक सबसे पुराने राजनैतिक दल का किसी विदेशी राजनैतिक दल से समझौता, वो भी गुप्त, समझ  परे है. 

याद होगा कि डोकलाम संकट के समय राहुल गांधी गुप्त रूप से चीनी दूतावास गए थे, खबर सामने आने पर राहुल ने इससे इंकार किया था.  हालांकि बाद में चीनी दूतावास द्वारा मुलाकात की फ़ोटो अपनी वेबसाईट में डालने के बाद राहुल गांधी को अपनी झूठ स्वीकारनी पड़ी थी।

गलवान घाटी, लद्दाख में  चीन से विवाद के बाद कॉंग्रेस की भूमिका 


अभी ताजा गलवान घाटी विवाद के बाद वरिष्ठ काँग्रेसी नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर चीन को भारत का अहम रणनीतिक साझेदार बताया। काँग्रेस के ही एक और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि चीन का एक भी सैनिक गलवान में मारा नही गया।

पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि चीनी समान के वहिष्कार से भारत को ही नुकसान होगा। इन सभी बातें महज संयोग नही है। कहीं ये सब किसी बड़े षडयंत्र का हिस्सा तो नही? ध्यान रखना होगा कि भारत हमेशा सत्ता के भूखे गद्दारों से ही हारा है। 

ये बात सभी जानते हैं की कॉंग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर रहने की आदत नहीं है और वो लगातार दो बार देश का आम चुनाव हार चुकी है. राज्यों में भी कॉंग्रेस की सत्ता सिमटती जा रही है. उसके बड़े नेता एक एक कर पार्टी छोड़ते जा रहे हैं. एक परिवार की बफादारी में आम जनता से उसका संपर्क टूट चूका है. ऐसे में जमीनी काम करने के बजाय यह पार्टी कहीं षड़यंत्र के माध्यम से तो सत्ता में पहुंचना नहीं चाहती? 

क्या चीन के साथ काँग्रेस की कोई सांठगांठ है?


देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से ही कांग्रेस की चीन के प्रति नरम नीति रही है. अमरीका की पेशकश के बाबजूद उन्होंने सुरक्षा परिषद् में भारत के लिए स्थयी सीट ठुकरा दी थी, और यह सीट अर्थात वीटो पावर चीन को दे दिया था. अक्साई चीन का हिस्सा चीन को देना आदि ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिससे ऐसा स्पष्ट लगता है की नेहरू भारत से ज्यादा चीन के प्रति झुकाव रखते थे

आज भी कॉंग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में लद्दाख संकट के लिए भाजपा की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है. आज जब सभी प्रमुख विपक्षी दल; यहाँ तक की कांग्रेस के अनेक सहयोगी दल, राष्ट्रिय कॉन्ग्रेस पार्टी एवं शिव सेना भी सरकार के साथ है, तब भी लगातार आक्रामक रूप से कोंग्रेस सरकार एवं भाजपा पर हमलावर है. 

क्या चीन के साथ काँग्रेस की कोई सांठगांठ है? इस संकट के समय सोनिया, राहुल और सभी कांग्रेसियों के प्रधानमंत्री मोदी पर आक्रामक बयानों से तो ऐसा ही लगता है।

बात सही लगे तो इसे अधिक से अधिक शेयर करें। इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, हर भारतीय को यह बात मालूम पड़नी चाहिए 




कॉंग्रेस चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ,  चीन के साथ काँग्रेस की सांठगांठ,  गलवान घाटी लद्दाख में चीन से विवाद में  कॉंग्रेस की भूमिका,

सादर,
ज्योति कोठारी
संयोजक, जयपुर संभाग,
प्रभारी, पश्चिम बंगाल,
नरेंद्र मोदी विचार मंच


Monday, 22 June 2020

चीन से लड़ना है लेकिन कहां जा रहे हम? देश के लिए शोचनीय बात




चीन को आर्थिक मोर्चे पर हराने के लिए और भारत को आत्मनिर्भर बनाने हेतु हर भारतीय ने चीनी सामान का बहिष्कार करने का प्रण लिया है, इसके बाबजूद कुछ लोग ऐसा व्यव्हार कर रहे हैं जिसे कटाई देश हित में नहीं कहा जा सकता।

भारतीय क्यों खरीदें One Plus 8 Pro चीनी मोबाइल ?


One Plus 8 Pro एक चीनी मोबाइल फ़ोन है। इसे खरीदने के लिए एक वर्ग में दीवानगी की हद तक वेचैनी दिख रही है। लॉन्च होने के कुछ ही मिनटों में इसके सारे फोन बिक गए। कुछ भारतीयों ने तो बेशर्मी की हद तक जाकर ट्वीट कर यह फोन नही मिल पाने की शिकायत भी कर डाली!

एक तरफ भारत के वीर सैनिक सीमा पर चीन से लोहा ले रहे हैं, देश के प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत का आह्वान कर रहे हैं, दूसरी तरफ हम चीनी मोबाइल खरीदने के लिए टूट पड़ रहे हैं।

वैसे भी यह दवाई की तरह कोई अत्यावश्यक वस्तु नही जिसे जीवन रक्षा के लिए खरीदना जरूरी हो। ज्यादातर भारतीयों के पास एक मोबाइल हैंडसेट तो है ही। केवल दिखाबे और शोशेबाजी के लिए नया मोबाइल, वो भी चीनी, खरीदना कहाँ की बुद्धिमानी है?

चीनी सामान का वहिष्कार


माना कि चीन के समान की घुसपैठ इतनी ज्यादा है कि एक ही दिन में उसे पूरा बाहर कर पाना संभव नही है, लेकिन केवल दिखाबे के लिए चीनी समान खरीद कर उसके अर्थतन्त्र को मजबूत करना क्या उचित है?

यदि आपके अंदर देशप्रेम का झरना बहता हो, यदि वीर सैनिकों के प्रति अंदर कोई जज्बा हो तो चीनी समान नही खरीदने का प्रण लें और इस पोस्ट के लिंक को को लगातार फारवर्ड करें। इतना अग्रेषित करें कि हर भारतीय तक यह पहुंच जाए।


 जय भारत

चीनी कंपनी की चालबाज़ी 

इस बीच एक खबर ये भी आ रही है की भारतीयों ने इस फोन  ख़रीदा। ऐसेमे चालबाज़ी दिखाते हुए One Plus 8 Pro की उत्पादक चीनी कम्पनी ने ऑनलाइन बिक्रेता कंपनियों जैसे अमेज़न और फ्लिपकार्ट से समझौता कर, उन्हें पैसा देकर यह झूठी खबर फैलाई की उसके सरे फोन मिनटों में बिक गए. यदि ऐसा है तो यह और भी खतरनाक साज़िश है और इसकी खोज होनी चाहिए की क्या वास्तव में इन ऑनलाइन बिक्रेता कंपनियों ने साज़िश के तहत ऐसी झूठी खबर फैलाई? ऐसी स्थिति में इन कंपनियों पर FIR दर्ज़ होना चाहिए. भारत सरकार को इस का संज्ञान लेना चाहिए और यह भी देखना चाहिए की इन पर धोखाधड़ी और और देशद्रोह का मुकदमा चल सकता है क्या?

How can India beat China in manufacturing in a simple way




चीनी सामान का वहिष्कार, चीन भारत, One Plus 8 Pro Mobile 

How can India beat China in manufacturing in a simple way


Indian entrepreneurs encouraged to manufacturing 

A few days back, during the Corona lockdown, I got a phone call from a young jeweler who is manufacturing artificial Jewelry in Jaipur. He was worried about the future of his business. Besides the lack of demand, he was also worried about the Chinese components required for his manufacturing. He informed me that China is the only source of artificial gemstones required for setting in the jewelry. India has a border issue with China and Indian citizens are in the mood of boycotting China and Chinese products. Hence, if he uses Chinese artificial gemstones, there is a fair chance of a boycott by Indians. I advised him to study if he could manufacture those artificial stones for domestic and international markets. Also, I suggested to him that this is a good time to explore because the whole world is thinking of an alternative to Chinese products.  

Later on, he replied to me with a positive response. He informed me that he had searched for the required machinery and chemicals needed to produce artificial stones. As it needs a bigger investment, he has also been negotiating with some fellow businessmen to come together. It is a well-known fact that Jaipur is an international hub for colored gemstones. Plenty of skilled labor is available in the market. Hence, it is a suitable venue for producing artificial gemstones.  

A few days later, encouraged by the later conversation with the young jeweler, I started a telephone discussion with one of my relatives based in Hyderabad. He is an importer of spare parts for mining machinery and equipment. Though not an engineer, he has skills in the mechanical area. I suggested he manufacture a few of the spare parts, maybe one or two initially. In the conversation, it is revealed that Chinese parts are much cheaper and manufacturing is not viable in India. I further suggested him explore whether one or two parts are possible and cost-effective. He is now researching the matter and may come out with a possible solution.  

Just now: India has banned 59 Chinese apps including TikTok, Camscanner, UC browser, Wechat, etc giving a tremendous blow to the App industry of China. All these apps have a large user base in India.

 Wonderful achievements in Indian manufacturing during Covid 19 

We have seen that India has successfully started manufacturing Personal Protection Equipment (PPE kit) in the post-Covid era. The country was not producing a single PPE kit in March 2020 and was fully dependent on Chinese imports. However, in just two months, i.e. in May 2010, Indian manufacturers started producing more than 200 thousand PPE kits per day. Indian manufacturers are not only meeting the domestic demand but started exporting kits, better in quality than the Chinese Ones. Surprisingly, India has become the second largest producer of these kits after China. Similar things happened with the production of musk. There was a crisis of masks in March and April and there was abandonment in May itself.  

Indian companies have manufactured ventilators, a life-saving equipment, during this period. The government of India (PM care fund) has already purchased 60 thousand ventilators from ingenious manufacturers. Now, India is ready to export ventilators.  

The biggest surprise came from a tribe woman in Chhattisgarh. She started producing sanitizers using honey trees. Tribes use honey trees, commonly known in India as Mahua, to prepare liquor. The tribal woman prepared alcohol out of it and used it to make sanitizers. Sanitizer was scarce during the initial stage of the pandemic.    

There are hundreds and thousands of products that Indian entrepreneurs can manufacture, feed the domestic market, and export, too. 

Advantages for India

Geophysical advantages 

India is bestowed with the advantages of demographic division. The country has a huge population, the second highest in the world, truly diverged. The geography of India is blessed with all types of natural divisions. It has mountains, plateaus,  and plains;  rivers, forests, deserts, seas, and oceans. The northern region is cold, the southern is hot and the rest has moderate weather. And we know that different geology and different seasons are needed to manufacture different products.  

Heavy rainfall in West Bengal and Assam supports the jute crop. Hence, the jute industry is developed on the banks of the Hooghly River surrounding the metro city of Kolkata. Similarly, the suitable weather of Bengaluru helped in developing precision industries such as mechanical watches.  

Iron ore mines in Orissa and Chhattisgarh and coal mines in Jharkhand and West Bengal are the reasons behind gigantic steel plants like Durgapur, Rourkela, Jamshedpur, and Bhilai.  

Average age advantage (Younger population)

In 2020, the average age of Indians is 29 where more than fifty percent of the population is below 25 and sixty-five percent below 35. Whereas, China's average age is 37 and it is 48 for Japan. The average age in the US is 38.2 according to statista.com. The US had an average age of 29 in 1960, exactly equal to that of India in 2010. And the world has seen the progress of America after the 1960s.  

Most of the developed and industrialized countries are struggling with an aging population. Here, India is in an advantageous position with the lowest average age among the major countries in the world. India can leverage its young population to be a manufacturing hub. 

Advantage of various skills and expertise 

There are varieties of traditional skill sets in India. The country produces numerous varieties of handicrafts in different geographies. Jaipur produces marble statues whereas Bengali artisans are proficient in clay modeling and terracotta arts. Similarly, Varanasi and Thanjavur are renowned for their silk saris. Toosh and Pashmina shawls of Kashmir and Ladakh are splendid and fetch high value in the international market. Who doesn't envy the wooden artwork of Barmer in Rajasthan?  

Semi-automatic power looms in Bhiwandi, Ichalkaranji, Tirupur and Malegaon generate huge employment among the skilled loomers. Similarly, Khadi clothes from the competent workers of Andhra Pradesh are winning the hearts of fashion designers.   

Where Tirupur and Kolkata are the hubs for hosiery, Ludhiana is known both for hosiery and woolen. Delhi is known for manufacturing jeans, Mumbai for branded garments, and Indore for fancy readymade. You can add as many products, as you wish, to the list. 

Expertise in Information technology

India has a huge trained and skilled workforce in the IT sector. India has been shining in the global IT since Y2K. IT exports from India have been skyrocketing. Indian IT skills are recognized by the global business leaders. What more, Indian IT professionals are heading the top internet and software companies like Google and Microsoft.  

India is way ahead of other countries both in quality and quantity in the software industry.  

Atmanirbhar Bharat (Self-Reliant India)

Narendra Modi, the Indian Premier recently, has called for Atmanirbhar Bharat. The invocation of the popular leader is taken hand in hand by the citizens of India.  The cabinet of ministers, government officials, universities, and bankers are also prompted to support the mission. It seems to be a flagship program of the central government besides "Make in India". The program has the potential, to reduce dependence on China and to make India a global manufacturing hub in the long run.  

India has failed to catch the manufacturing bus

China has caught it but India has failed to catch the manufacturing bus since the 1980s. Both China and India had similar levels of population that created a cheap labor advantage over Western countries in the EU and the US. India had the highest number of engineers, even more than that of China at that time. However, Indian policymakers failed to assess the potential of globalization and missed the opportunity. 

 Den Xiaoping, the Chinese president came out as a visionary, reversed the Chinese policy of intrusions, and started a new era of Sino-American friendship. Until 1990, Chinese GDP and per capita income were similar to that of India. However, drastic changes in Chinese economic policy gave them an edge. Now, the GDP of China is five times that of India, so the per capita income. Presently, the GDP of China is about $14.5 Trillion whereas that of India is only about $2.9 trillion.    

On the other hand, India's footprint in software and other BPO/ KPO sectors is clearly visible in the global scenario. 

India can help distressed global supply chain

 As the US and the EU economies started recovering, they were facing problems in the supply chain. Most of these countries are heavily dependent on China for FMCG. India can start manufacturing those goods at a fast pace to maintain the supply chain. The US stores have been struggling to get supplies of petty things such as paper napkins, trampolines, sanitizers, and so on, as consumer demand has started soaring in retail stores. Online sellers are also facing stress. Being optionless, they are looking to China for a faster supply. Why India can't be an option?  

Though the political leaders in the US and the EU are continually batting against China, the traders are looking into the same country for continuing supply of consumer goods. Even the public sentiment is against China. However, they are left with no choice. Indian entrepreneurs have shown their ability and courage to manufacture PPE kits, ventilators sanitizers, etc at a faster speed and maintained the critical supply line. They, now, have the opportunity to think globally and grab their percentage in the global supply chain.

Reforms needed

Indian policymakers have to reform economic policy. They have to study Chinese development carefully during the period and come up with a strategy. It also needs a political will to compel government executives to implement those policies and guidelines determined by the policymakers. A path-breaking correction is needed to grab the new opportunity. When I talked to several industrialists and entrepreneurs, they told me about what the reforms needed. A few of the most relevant reforms required are stated below. 

Land Acquisition Act reform

The Land Acquisition Act in India is an old one. It was made looking into the agriculture-based economy. The time has changed a quick reform is needed. Acquisition of a piece of land in India is a tough job, even for a government. It takes years to get a piece of land to establish an industry. This cumbersome process prevents investors from building an industry. Not only are the Indian entrepreneurs, but foreign investors are also scared of the rule. Hence, a speedy reform of the act is expected and the Union and state governments have to act on it.

It is good news that the Indian government has created a land bank by already acquiring some thousand hectares and ready to give to the industrialists. 

Labor law reform 

Labor law reform is the most important one. late G D Birla, the then biggest industrialist in India once said, " It is easier to divorce wife than to fire a labor". The same stale laws are still haunting the entrepreneurs. It is ridiculous that an entrepreneur cannot fire an employee whether he or she is productive or not. However, an employee can switch easily without any bar. Many times micro, small, and medium enterprises suffer from the switching of their employees without notice. 

Political parties, always, make hue and cry over labor reform issues. They have to look beyond the vote banks. If India has to solve the unemployment problem by looking into its vast and ever-growing population, it has to reform its labor laws.

Environmental law reform

Many times, environmental laws create hindrances in establishing an industry. We have to reform environmental laws conducive to sustainable development. The country has to reduce unnecessary burdens of clearances. 

Lowering tariff for electricity and oil price

Electricity tariff in India is much higher in India compared to other countries, especially China. Moreover, India is a country where an industry has to pay more than a domestic consumer for electricity per unit. Similarly, oil prices are much higher in India. central and state taxes play a major role in determining petroleum prices. Governments have to reduce these taxes to provide cheap petroleum products to the industries. 

Enhancing savings to GDP ratio

Famous economist and Rajyasabha member Dr. Subramanian Swami argues that the Indian savings ratio is much lower than that of China. Where India has a ratio of 29 percent, China has it in its favor to 36 percent. He writes that if India can raise it to 36 percent it can reach a GDP growth rate of 10 percent.  

Shifting from service to product in software

Indian software professionals have been in software services since the 1990s. To date, they are reining the global IT industry. There is a large number of these professionals, educated, trained, and experienced. However, India has failed to bring world-class IT products. Why can we not create products like Google, Facebook, or Twitter? Why did we fail to create a simple platform like YouTube or even a Vimeo? Why Indian IT entrepreneurs are not looking to build a company like Microsoft, Oracle, or Cisco? India provides the highest customer base for most of these companies but it is not trying to create its own. It is shameful to see Indians in TikTok or Hello. India needs an Alibaba of its own.

  


Wednesday, 10 June 2020

आत्मनिर्भर बनें, चीन नहीं भारत में बने सामान का उपयोग करें


आत्मनिर्भर भारत- चीन पर निर्भरता कम करें 



आत्मनिर्भर बनने के लिए भारतीयों को चीन नहीं भारत में बने सामान का उपयोग करना चाहिए. पिछले कुछ वर्षों से हम चीन से कुछ  ज्यादा ही आयात करने लगे हैं. चीनी सामान पर हमारी निर्भरता लगातार बढ़ती ही जा रही है. इससे जहाँ घरेलु उद्योगों को नुकसान हो रहा है, भारत में रोजगार कम हो रहे हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है वहीँ चीन बड़ा मुनाफा कमा रहा है. हम अपना नुकसान कर चीन को समृद्ध कर रहे हैं. 

 भारत के कारखाने 

चीन की विस्तारवादी नीति और उसका अर्थतंत्र 


चीन विश्वभर में कोरोना फ़ैलाने के बाद अपनी विस्तारवादियों नीतियों के तहत अन्य देशों की जमीन हड़पने की योजना में लगा हुआ है. ताइवान, हांगकांग के बाद अब उसकी दृष्टि भारत पर है. लद्दाख के गलवान घाटी और आसपास के भारतीय इलाकों में उसकी फौज घुसपैठ कर रही है. यद्यपि भारतीय सेना भी PLA को मुहतोड़ जवाब दे रही है. लेकिन ध्यान देनेवाली बात ये है की आर्थिक समृद्धि ने चीन को बेलगाम कर दिया है, चीन बेहद शक्तिशाली भी हो गया है, इसमें कोई संदेह नहीं. यदि चीन को रोकना है तो हमें उसकी आर्थिक नाकाबंदी करनी होगी, उसके अर्थ तंत्र की रीढ़ को तोड़नी होगी. इसके लिए आवश्यक है की हम आत्मनिर्भर बनें, चीन में बने सामान का नहीं भारत में बने सामान का उपयोग करें।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेड इन इंडिया के लोगो का विमोचन करते हुए 

इस सम्वन्ध में समय समय पर लिखता रहा हूँ. पिछले कुछ दिनों में मैंने व्हाट्सएप पर कुछ पोस्ट डाले थे जिसे व्यापक सराहना मिली एवं हज़ारों की संख्या में वे मेसेज फॉरवर्ड भी हुए.

Will China break like the USSR

भारत का चीन से आयात 

व्हाट्सएप मेसेज १

भारत चीन से प्रतिवर्ष लगभग100 अरब डॉलर अर्थात साढ़े सात लाख करोड़ रुपये (750,000, 000,0000) के समान का आयात करता है)। जरा विचार कीजिये ये रकम कितनी बड़ी है?

यदि भारत मे 25 करोड़ परिवार मानें तो प्रति परिवार औसत 30,000 रुपये हम चीनी समान पर ख़र्च करते हैं, और हर परिवार इतनी बड़ी रकम चीन को हर साल दे रहा है!!

अफसोस कि बात ये है कि यह पैसा किसी जरूरी चीज खरीदने में नही बल्कि मनोरंजन के साधन, खिलौने, गहने, फैंसी कपड़े और जूते, मोबाइल जैसे गैरजरूरी समान पर खर्च करते हैं।

इन्ही पैसों के बल पर उसके नेता और उसकी सेना भारत को आंख दिखाती है।

यदि हम भारत मे बने समान का उपयोग करें तो इतनी बड़ी रकम से 3 करोड़ भारतीयों को रोजगार मिल सकता है और भारत से बेरोजगारी खत्म हो सकती है। इससे चीन भी घुटनों के वल आ जायेगा और उसकी सारी हेकड़ी निकल जायेगी।

ज्योति कोठारी, जयपुर

आत्मनिर्भर भारत
राष्ट्रधर्म

भारत का सकल घरेलु उत्पाद एवं चीन से आयात 


व्हाट्सएप मेसेज २ 


विश्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पाद कोरोना महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष में -3.2 प्रतिशत रहेगा।

अभी भारत का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 2.9 ट्रिलियन डॉलर अर्थात 2900 बिलियन डॉलर है। इसका 3.2 प्रतिशत लगभग 93 बिलियन डॉलर होता है। अर्थात कोरोना के कारण गत वर्ष की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था को 93 अरब डॉलर यानी 7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।

दूसरी ओर हम केवल चीन से ही साढ़े सात लाख करोड़ रुपये का सामान आयात करते हैं। यदि हम चीनी समान नही खरीदें तो ये समान भारत मे ही बनेगा और कोरोना से होनेवाले अर्थव्यवस्था के नुकसान की भरपाई हो सकेगी।

ज्योति कोठारी, जयपुर
आत्मनिर्भर भारत
राष्ट्रधर्म

भारतवासियों से आह्वान 


अब हम भारतवासियों को राष्ट्रधर्म निभाना है. देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आत्मनिर्भर भारत बनाने का कार्य करना है. इसके लिए आवश्यक है की हम चीनी वस्तुओं पर अपनी निर्भरता कम करें और भारत में बनी स्वदेशी वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग करें. मेक इन इंडिया को सफल बनायें.

भारत के उद्योगपतियों व व्यापारियों से आह्वान 



इसके लिए व्यापारियों और उद्योगपतियों को भी आगे आना होगा और उन्हें ये समझना होगा की अच्छी गुणवत्ता और सस्ती कीमत ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने का उपाय है. अतः उन्हें भी स्वार्थ और मुनाफा खोरी छोड़ कर उचित मुनाफे से माल उपलब्ध कराना होगा. यदि उद्योगपति एवं व्यापारी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे और अपने लाभ के साथ जनहित और राष्ट्रहित में काम करेंगे तभी जनता भी उनका साथ देगी और वोकल फॉर लोकल होगी. यही सबके हित में होगा.



Saturday, 15 June 2019

How can the Muslim community contribute to accelerating GDP India?


The Muslim community can contribute a lot to accelerating GDP in India. Modi 2.0 has a clear goal to raise Indian GDP to $5 trillion by 2024. Further, Piyush Goyal, in his interim budget speech, categorically stated an aim to be a $10 trillion economy by 2032. BJP manifesto for Lok Sabha election 2019, also, has echoed the same with a roadmap and reform plans. So, India can be the 4th largest economy in the world by 2024. It needs accelerating Indian GDP growth rate by 2 to 3 percent. Now the question is how the Muslim community can contribute to accelerating GDP India?

Economic facts about the Muslim community


It is a well-known fact that the per capita income of the Muslim community in India is much lesser than the national average. A national survey based on the 2001 census revealed two major reasons.

1. High population growth
2. Poor participation of women in earning

Despite the fact that Muslims are more urbanized than the Hindus, per capita income of the community remains lower than the national average. The reason behind is that the community members are engaged in lower-income jobs. We see, only a few Muslims in top jobs. As Hamid Ansari, the then Vice-President of India told that only 3 percent of Muslims are working as directors or CEOs of top Indian corporations. We, hardly, find Muslims among top industrialists. Azim Premji may be an exception.

The Muslim population has poor education, by and large. Most of them are engaged in traditional craftsmanship or in a labor-intensive job. These are the major causes of their poverty. Hence, the community is contributing less to GDP India compared to the population. There is a need for the economic upliftment of the Muslim community in order to accelerate GDP growth in India.

Narendra Modi on the Muslim community

Prime Minister Narendra Modi believes in "Sabka sath, sabka vikas, Sabka vishwas". Muslims are not an exception. However, a socio-political change is required within the community. Modi has rightly said that he wants a Quran in a hand and a computer in another for Muslim students. This sentence advocates technical education for Muslim students besides religious education to raise their income. 

Modi government, in its first term, emphasized on women empowerment of the Muslim community. Triple Talaq bill is just an example that is opposed by the most opposition parties who surrendered to the orthodox religious leadership. Modi 2.0, again, is trying to table the bill and get it passed. Women empowerment can significantly change both the social and economic scenario of the community.